बीरबल की खिचड़ी | Birbal ki khichdi

बीरबल की खिचड़ी कहानी | Birbal ki khichdi
एक बार अकबर बादशाह ने एक शर्त रखी कि जो ब्यक्ति रात भर छाती तक पानी में खड़ा रहेगा उसे 5000 स्वर्ण मुद्रा ईनाम में दिए जायेंगे | ठण्ड के दिन थे कौन अपनी जान आफत में डालता | आखिर एक गरीब ब्राम्हण जिसे अपनी लड़की की शादी करनी थी तैयार हुआ | रात भर बेचारा पानी में खड़ा रहा ,सबेरे बादशाह ने उसे बुलाया और पूछा – ”तुम किसके सहारे से रात भर पानी में खड़े रहे |” Birbal ki khichdi
सीधे साधे ब्राम्हण ने उत्तर दिया – ” हुजूर मैं आपके किले की कंडील (लालटेन) को देखता रहा|”
बादशाह ने कहा – ”जरूर तुम्हे उसकी गर्मी मिली होगी इसलिए जाओ ईनाम नहीं मिलेगा |”
उस गरीब ब्राम्हण को बादशाह अकबर ने कोई इनाम नहीं दिया औरबेचारा ब्राम्हण रोता हुआ बीरबल के पास गया और उनको सारा हाल कह सुनाया | बीरबल ने उसे धीरज बंधाई और घर भेज दिया | एक दिन बादशाह शिकार करने के लिए जा रहे थे ,सेना तैयार हो गई बादशाह ने बीरबल को बुलाया जो नौकर बुलाने गया था उसने लौटकर उत्तर दिया कि बीरबल अभी खिचड़ी बना रहे हैं खाकर आयेंगे |
Birbal ki khichdi
जब घंटे भर बाद भी बीरबल नहीं आये तब दूसरा नौकर भेजा गया उसने भी यही उत्तर दिया दो घंटे हो गए पर बीरबल नहीं आये |तीसरा नौकर भेजा गया उसने भी यही उत्तर दिया कि अभी खिचड़ी पक रही है खाकर आयेंगे | अब बादशाह को बड़ा क्रोध आया वे स्वयं ही बीरबल के पास पहुंचे और देखते हैं कि नीचे जरा सी आग जल रही है और खिचड़ी कि हांडी 5-6 फीट ऊपर बल्ली पर रखी हुई है जहाँ बीरबल आराम से बैठे हुए हैं |
बादशाह ने पूछा –” बीरबल यह क्या तमाशा हो रहा है ?”
बीरबल ने उत्तर दिया – ” हुजूर खिचड़ी पक रही है |”
बादशाह ने कहा – ” यह कैसी खिचड़ी ? इतनी नीची आग से खिचड़ी की हांड़ी को कुछ भी गर्मी नहीं लग सकती | यह कैसे हो सकता है ?” बादशाह ने बड़ी हैरत से पूछा|
बीरबल ने कहा – ” हुजूर उसी तरह जैसे गरीब ब्राम्हण को किले की कंडील (लालटेन) से गर्मी पहुँची थी | ”
यह सुनते ही बादशाह को अपनी नासमझी और भूल का अहसास हो गया उसके बाद बाद्शाह ने ब्राम्हण को बुलाकर 5000 स्वर्ण मुद्रायें दीं और गरीब ब्राम्हण बीरबल को हजारों आशीर्वाद देता हुआ घर चला गया |
